‘सोना कितना सोना है’, ये लाइन हर उस चीज के लिए बोली जाती है जो सोने से बनी होती है, या जिसमें सोना लगा होता है, फिर चाहे वो Olympic Medal ही क्यों ना हो. जब नाम ही Gold Medal है तो उसमें सोना ज़रूर होगा. लेकिन कितना होगा और उसकी शुद्धता क्या है? इसकी अलग कहानी है, जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. Olympics में दिया जाने वाला Gold Medal 529 ग्राम का होता है और अगर ये पूरा सोने से बना हो इसकी कीमत 44 हज़ार डॉलर यानि करीब 37 लाख रुपए होगी. लेकिन ऐसा है नहीं. Olympics Winners को दिया जाने वाला गोल्ड मेडल पूरी तरह से सोने का नहीं बना होता. गोल्ड मेडल में सोने की मात्रा बहुत कम होती है. Paris 2024 Olympics में दिए जाने वाले 529 ग्राम वजन के गोल्ड मेडल में सिर्फ़ 6 ग्राम सोना है, बाकी का हिस्सा 505 ग्राम चांदी और 18 ग्राम लोहे से बना है. पहली बार पेरिस ओलंपिक में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल में लोहे का इस्तेमाल हुआ है. मगर कोई ऐसा वैसा लोहा नहीं, ये लोहा Paris के ऐतिहासिक Eiffel Tower से लिया गया है. इससे पहले ओलंपिक खेलों में दिया जाने वाला गोल्ड मेडल सिर्फ सोने और चांदी से बना होता था.
ओलंपिक खेलों में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल में जितना सोना लगा होता है वो मेडल के कुल भार का मात्र 1.3 परसेंट होता है, बाकी का 98.7 परसेंट शुद्ध चांदी होती है. मेडल को चांदी से बनाकर उसके ऊपर Gold Plating की जाती है, जिससे वो पूरी तरह से सोने का बना हुआ दिखता है. अब बात आती है कि गोल्ड मेडल को बनाने की लागत की जिसमें 24 Carat Gold और Sterling Silver लगा होता है. ओलंपिक में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल की कीमत 950 डॉलर यानि करीब 80 हज़ार रुपए है, जिसमें करीब 40 हज़ार रुपए का सोना और 40 हज़ार रुपए की चांदी इस्तेमाल की गई है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक साल 2032 तक गोल्ड मेडल की कीमत 1,500 डॉलर तक यानि करीब 1 लाख 26 हज़ार तक पहुंच जाएगी.
वैसे, ओलंपिक खेलों के दौरान मिलने वाले गोल्ड मेडल्स की असल कीमत बहुत ज्यादा होती है, जो इनके ऑक्शन से पता चलती है. एक अमेरिकी कंपनी RR Auction के मुताबिक आयोजन के तुरंत बाद पेरिस ओलंपिक में मिले गोल्ड मेडल का अगर ऑक्शन किया जाय तो एक लो-प्रोफाइल खिलाड़ी के गोल्ड मेडल की कीमत भी कम से कम 15 हज़ार से 30 हज़ार डॉलर होगी. जब भी किसी खिलाड़ी के मेडल का ऑक्शन होता है तो उसकी कीमत खिलाड़ी की लोकप्रियता और उसके ओहदे से तय की जाती है. समय-समय पर खिलाड़ी चैरिटी के लिए मेडल्स का ऑक्शन करते रहते हैं.
ऐसा नहीं है कि हमेशा से ही गोल्ड मेडल में सोने की इतनी कम मात्रा होती थी. 1912 में हुए Stockholm Olympics तक गोल्ड मेडल पूरी तरह से सोने के बने होते थे. लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के बाद इसकी बढ़ती लागत को कम करने के लिए इसमें से सोने की मात्रा को काफी कम कर दिया गया. 1920 में हुए Antwerp Olympics में पहली बार गोल्ड मेडल को बनाने के लिए चांदी का भी इस्तेमाल किया गया. हालांकि Silver Medal अभी भी पूरी तरह से चांदी का बना होता है जबकि Bronze Medal तांबा, टिन और जस्ता का मिश्रण होता है. वैसे, Olympic Medal कोई सा भी हो, जब इसमें जीतने वाले की मेहनत और उसके देश की प्रतिष्ठा जुड़ जाती है तो इसकी emotional value को क्या इसकी क़ीमत से आंका जा सकता है? क्या सोचते हैं आप?