Home Travel & Tourism सिर्फ़ ₹ 7 हज़ार! दिल्ली टू धर्मशाला और वो भी AC टैक्सी में!

सिर्फ़ ₹ 7 हज़ार! दिल्ली टू धर्मशाला और वो भी AC टैक्सी में!

सोचिए! गर्मी के मौसम में आप दिल्ली से हिमाचल के धर्मशाला घूमने आए हैं. वहां की मोनैस्ट्रीज़ घूमीं, मंदिर देखे, मैक्लॉड गंज का लुत्फ़ उठाया, कांगड़ा घूमे, पालमपुर घूमे, ठंडी वादियों-पहाड़ों-नदियों का दीदार किया और फिर आ गया वो वक़्त जब आपको वापस दिल्ली लौटना है. लेकिन अब आप बस या ट्रेन के झमेले में पड़ने के बजाए चाहते हैं कोई ऐसा पॉकेट फ़्रेंडली ऑप्शन जिससे आप सीधे पहुंच जाएं अपने घर. तब आपके सामने एक ही विकल्प होता है और वो है टैक्सी.

क्यूं महसूस होती है ज़रूरत टैक्सी की?

किसी भी टूरिस्ट प्लेस जाने और वहां से लौटने की मनोदशा बिल्कुल अलग-अलग होती है. जाते समय तो हम जोश में यातायात के किसी भी साधन से वहां पहुंच जाते हैं. मगर लौटते वक़्त मन उदास होता ही है. जी करता है कि कौन बस स्टेशनों-रेलवे स्टेशनों पर चढ़ता-उतरता फिरे. बस कोई ऐसा पॉकेट फ़्रेंडली साधन मिल जाए जो सीधे हमें अपने ठिकाने पर पहुंचा दे.

बस बनाम टैक्सी, क्या है ज़्यादा पॉकेट फ़्रेंडली?

इसे एक उदाहरण के ज़रिए समझना ही बेहतर रहेगा. मान लीजिए कि पहले हमें दिल्ली से धर्मशाला जाना हो तो सबसे पाप्युलर ज़रिया है बस. एसी वॉल्वो बसों का किराया वेरीएबल होता है यानि दिन, टाइम, सुविधा और ऑपरेटर के हिसाब से बदलता रहता है. आपको 1200-1400 रुपए में दिल्ली से धर्मशाला और धर्मशाला से दिल्ली की बस मिल जाएगी. मान लीजिए आपको 1300 रुपए वाली बस मिली और आपके परिवार में 4 लोग हैं तो दोनों तरफ़ की यात्रा में आपको ख़र्च करने होंगे लगभग 10,400 रुपए. मगर बस यात्रा की अपनी दिक़्क़तें भी हैं.

1-अपने घर से बस के दूर-दराज़ स्टॉप तक पहुंचने और फिर लौटने पर स्टॉप से घर जाने के लिए आपको करनी होगी कैब़. इसके अलावा जब आप धर्मशाला के बस स्टॉप से अपने होटल और लौटते समय होटल से बस स्टॉप के लिए भी आपको टैक्सी करनी होगी. चलिए अब इन सारे किरायों को जोड़ लेते हैं.

4 लोगों का बस का किराया लगभग 10400 रुपए
घर से बस स्टैंड और बस स्टैंड से घर का टैक्सी भाड़ा लगभग 2000 रुपए
धर्मशाला बस स्टैंड से होटल और होटल से फिर बस स्टैंड पहुंचने का किराया लगभग 1000 रुपए
यानि 10,400+2000+1000= कुल लगभग 13,400 रुपए

2-बस में दूसरी दिक़्क़त ये है कि अच्छी बसें देर शाम या रात को ही चलती हैं दिन में नहीं. जबकि कैब का टाइम आप अपने हिसाब से चुन सकते हैं और दिन में पहाड़ों का नज़ारा लेते हुए अपनी मंज़िल तक पहुंच सकते हैं.

3-बसों के अपने फ़िक्स्ड हॉल्ट होंगे. अगर आपको बीच में शौचालय का इस्तेमाल करना हो तो मुश्किल होगी ख़ासतौर पर महिलाओं को. जबकि टैक्सी आप जब चाहें,जहां चाहें रोक सकते हैं.

4-बस के सफ़र में अगर कोई टेढ़ा सह-यात्री पास बैठ गया तो सफ़र नर्क बन जाता है. जबकि टैक्सी में आपकी प्राइवेसी मेंटेन रहती है.

लोकल टैक्सी बनाम ऐप बेस्ड टैक्सी

अगर आप अपने परिवार के 4 लोगों के लिए किसी लोकल टैक्सी ऑपरेटर से दिल्ली-धर्मशाला-दिल्ली टैक्सी बुक करते हैं तो आपको डिज़ायर या इटियॉस जैसी कारों के लिए क़रीब 18,900 रुपए ख़र्च करने पड़ सकते हैं और दोनों तरफ़ 5 पर्सेंट जीएसटी अलग से यानि कुल लगभग 20,790 रुपए. इस महंगे किराए के पीछे टैक्सी वाले की दलील ये होती है कि उसे आपको छोड़ने के बाद वापस ख़ाली लौटना पड़ेगा इसलिए दोनों तरफ़ की भरपाई वो आपसे ही करता है.
फिर कैसे मिलेगी पॉकेट फ़्रेंडली टैक्सी?

इसके लिए आपको बनना होगा बस थोड़ा सा ऐप फ़्रेंडली.

1-जी हां, अगर आप मेक माय ट्रिप (MakeMyTrip) या गो-आईबीबो (Goibibo) जैसे ट्रैवल ऐप से बुकिंग करें तो आपको 14000 रुपए से कम में बेहतरीन टैक्सी मिल जाएगी.

2-चूंकि ये ऐप्स चौबीसों घंटे बुकिंग करते रहते हैं लिहाज़ा टैक्सी वाले को, आपको ड्रॉप करने के बाद, वापस दिल्ली के लिए के लिए बुकिंग मिल जाती है. उसे ख़ाली वापस जाना नहीं पड़ता और ये आपकी और उसकी दोनों की पॉकेटों के लिए फ़ायदेमंद साबित होता है.

3-ख़ास बात ये कि इस किराए में जीएसटी भी शामिल होता है यानि ऊपर से कुछ भी नहीं देना आपको.

4-बस यात्रा का कुल ख़र्च 13,400 रुपए और लोकल टैक्सी ऑपरेटर के 20,790 रुपए के मुकाबले ऐप बेस्ड टैक्सी आपको 14000 हज़ार से कम में मिल जाएगी जो पूरी यात्रा के दौरान आपकी प्राइवेसी और ज़रूरत का भी पूरा ख़्याल रखेगी.

और इस सुविधा का फ़ायदा आप सिर्फ़ दिल्ली टू धर्मशाला ही नहीं बल्कि किसी भी टूरिस्ट प्लेस तक जाने या आने के लिए ले सकते हैं.

5-एक बात और! अगर आप हिमाचल की तरावट से सीधे दिल्ली की गर्मी में नहीं पहुंचना चाहते तो इन ऐप के जरिए आप बेहद सस्ती ब्रेक-जर्नी भी कर सकते हैं. यानि धर्मशाला से निकल कर एक दिन चंडीगढ़ घूमते हुए भी आप दिल्ली आ सकते हैं. इससे आप हिमाचल और दिल्ली के बीच के ‘एनवायरनमेंटल और साइकॉलोजिकल शॉक’ से भी बच सकते हैं.
हां! बस करना ये है कि जब भी आप इन ऐप्स का इस्तेमाल करें तो एक नज़र ऐसे सारे ऐप्स पर जरूर डाल लें ताकि आप अपने लिए एक सही पॉकेट फ़्रेंडली ऑप्शन चुन पाएं.

तो देर किस बात की? पूरे जलवे के साथ, अपनी शर्तों पर लीजिए प्राइवेट कैब में हिल स्टेशन घूमने का फ़ुल ऑन मज़ा और वो भी अपनी जेब को राहत देते हुए. तो हुई ना ये आपके, पॉकेट की बात.

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