महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार लगातार प्रयास कर रही है और इसके लिए तमाम योजनाओं की शुरुआत भी की है, जिसमें से एक है महिला कॉयर योजना. इसके जरिए मोदी सरकार कॉयर इंडस्ट्री में महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाती है, जिसका मकसद कॉयर फाइबर का उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में ग्रामीण महिला कारीगरों को रोजगार मुहैया करना है.
महिलाओं को हर महीने 3,000 रुपए
महिला कॉयर योजना (MCY), कॉयर उद्योग में महिलाओं के लिए एक स्वरोजगार कार्यक्रम है. पहले इसे कॉयर योजना के नाम से जाना जाता था. इस कार्यक्रम के जरिए इच्छुक महिलाओं को सरकार की ओर से कॉयर स्पिनिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें महिला कारीगरों को कॉयर बोर्ड के किसी भी प्रशिक्षण केंद्र पर कॉयर धागे की कताई करने की ट्रेनिंग लेनी होती है. 2 महीने का ये ट्रेनिंग कार्यक्रम पूरी तरह से मुफ्त होता है, इतना ही नहीं इस ट्रेनिंग को करने वाली महिलाओं को हर महीने 3,000 रुपए का स्टाइपेंड भी दिया जाता है.
25 लाख रुपए की मदद
इस योजना के तहत प्रशिक्षित कारीगरों को नई कॉयर यूनिट लगाने, मशीनों या उपकरणों को खरीदने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना यानि PMEGP के जरिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है. जिसके लिए अधिकतम राशि 25 लाख रुपये है. इसके जरिए एक परिवार से एक ही कारीगर को वित्तीय सहायता मिलती है.
इस योजना के तहत ग्रामीण घरों में मशीन से कॉयर फाइबर को धागे में बदलने का काम किया जाता है. इसके जरिए बड़े पैमाने पर रोजगार मिलता है, उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है, बेहतर काम करने की स्थिति बनती है और अच्छी आय होती है. सरकार की ओर से ये योजना कॉयर बोर्ड के माध्यम से चलाई जाती है. इसके जरिए देश और विदेश में कॉयर उत्पादों की ज्यादा से ज्यादा बिक्री, कौशल विकास और प्रशिक्षण, महिलाओं का सशक्तिकरण किया जाता है, साथ ही कच्चे माल का उन्नत उपयोग, व्यापार संबंधी सेवाएं, कॉयर श्रमिकों के लिए कल्याणकारी गतिविधियां भी शामिल हैं.
महिला कॉयर योजना (MCY) में ट्रेनिंग या वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए आपको india.gov.in की साइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और फिर सरकार की इस योजना का पूरा लाभ उठा सकते हैं. सरकार की इस वेबसाइट पर आपको कॉयर बोर्ड केंद्रों का पता और फोन नंबर भी मिल जाएगा साथ ही अगर आपको कॉयर इंडस्ट्री से जुड़ा कोई भी उत्पाद एक्सपोर्ट करना है तो उसकी भी सारी जानकारी मिल जाएगी.
यह योजना मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और लक्षद्वीप जैसे कॉयर उत्पादक तटीय राज्यों में प्रचलित है.