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बांग्लादेश में कहर का आपकी पॉकेट पर भी हो सकता है असर

पड़ोसी देश बांग्लादेश में हो रही हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल का कमोबेश असर भारत पर भी पड़ रहा है. लगातार हो रहे प्रदर्शन और दंगों के चलते बांग्लादेश के हर बड़े शहर की कंपनियों में मजदूर काम पर नहीं आ रहे हैं, सुरक्षा व्यवस्था देखने वाली पुलिस गायब हो गई है, सड़क से लेकर बाज़ार तक लूट-पाट मची है, जिसके मन में जो आ रहा है वही कर रहा है. ना तो वहां की फैक्ट्रियों में काम हो रहा है और ना ही दोनों देशों के बीच सामानों की आवाजाही. ऐसे में बांग्लादेश में जितनी भी विदेशी कंपनियां हैं उनके बंद होने का खतरा मंडराने लगा है. भारत से बांग्लादेश जाने और वहां से आने वाले सामानों की सप्लाई चेन टूट गई है क्योंकि भारत से सटी बांग्लादेश की पूरी सीमा को सील कर दिया गया है. ऐसे में जो भी लोग इन चीजों से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से जुड़े हैं उनकी पॉकेट पर भी असर होना लाजिमी है क्योंकि डिमांड पूरी ना होने से लागत और दाम हर हाल में बढ़ेंगे.

FMCG कंपनियों पर असर

FMCG सेक्टर की कई भारतीय कंपनियां घरेलू बाजार के साथ-साथ पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल के बाज़ारों में भी अपना बिज़नेस ऑपरेट करती हैं. ऐसे में बांग्लादेश में आई राजनीतिक अस्थिरता का असर इनपर साफ देखने को मिल रहा है. बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से 6 अगस्त को ही FMCG सेक्टर की कंपनी मेरिको के शेयरों में करीब 6% तक की बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. दरअसल मेरिको की Subsidiary Company बांग्लादेश में अपने ऑपरेशंस चलाती है, कंपनी अपने कुल Revenue का करीब 12% हिस्सा बांग्लादेश से जेनरेट करती है जो शेयर गिरावट का मुख्य कारण था.

साल 1999 में मेरिको ने बांग्लादेश में एक Subsidiary Company की मदद से एंट्री की थी. जिसे 2009 में ढाका स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट भी किया था और उसी की मदद से पिछले फाइनेंशियल ईयर में Overseas Revenue का 44% हिस्सा जनरेट किया था. मेरिको के दो कारखाने बांग्लादेश के गाजीपुर और ढाका में ऑपरेट होते हैं इसके अलावा कंपनी के पांच डिपो भी बांग्लादेश में हैं.

सिर्फ मेरिको ही नहीं गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, इमामी, डाबर, ब्रिटानिया और एशियन पेंट्स जैसी कई FMCG कंपनियों की बांग्लादेश में अच्छी खासी पकड़ है. ये कंपनियां भी बांग्लादेश से काफी Revenue जेनेरेट करती हैं लेकिन अभी इनपर ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है. अगर बांग्लादेश में हालात ठीक नहीं होते तो इन कंपनियों के भी शेयरों में गिरावट आ सकती है जिसका असर इन कंपनियों के शेयरधारकों की जेब पर पड़ सकता है.

साड़ी, दुपट्टा और आम का निर्यात भी रुका

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बढ़ी अस्थिरता का असर FMCG के अलावा भी कई सेक्टर्स में देखने को मिल रहा है. चूंकि भारत के कई राज्यों से बांग्लादेश में सामानों की आवाजाही सड़क के रास्ते होती है इसलिए बॉर्डर सील होने के बाद इनपर भी असर पड़ा है. हिंसा फैलने के बाद से भारत के बिहार राज्य से जाने वाले अनाज और कपड़ों का निर्यात करीब-करीब ठप हो चुका है. बिहार से भागलपुरी सिल्क, जर्दालु आम और कतरनी चूड़ा निर्यात होता है जो अब नहीं जा पा रहा है. भागलपुर में बनी टसर सिल्क की साड़ियां और दुपट्टों को बांग्लादेश की महिलाएं काफी पसंद करती हैं, जिससे इसकी डिमांड भी बहुत ज्यादा है. वहीं पुरुष भागलपुर में बनी लुंगी को खूब पसंद करते हैं, लेकिन अब ये सामान बांग्लादेश नहीं पहुंच पा रहे हैं. सिर्फ साड़ी और लुंगी का ही नहीं, बिहार से सूती कपड़ा, रेडीमेड कपड़ा, जूट और उससे बने उत्पादों के साथ-साथ चावल का भी व्यापार बांग्लादेश से होता है जो अब पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है. स्थानीय कारोबारियों के मुताबिक बांग्लादेश में हिंसा के चलते सिल्क का कारोबार फिलहाल ठप है. इस वक्त बांग्लादेश में 5 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का माल फंसा हुआ है, जिनकी डिलीवरी नहीं हो पा रही है. भागलपुर के अलावा गया के कारोबार पर भी बांग्लादेश में जारी अस्थिरता का असर देखने को मिल रहा है. गया के पटवा टोली में बना गमछा, बेडशीट, धोती, आदिवासी, साड़ी, पीतांबरी, गद्दे का कपड़ा, रजाई का लिहाफ समेत कई चीजें बांग्लादेश नहीं जा पा रही हैं जिससे इनके व्यापारियों को बड़ा घाटा हो रहा है.

नहीं हो पा रही मेरठ से सामान की सप्लाई

पड़ोसी देश बांग्लादेश में हो रही हिंसा और राजनितिक अस्थिरता का असर आने वाले समय में UP में मेरठ के कारोबार पर भी पड़ सकता है. मेरठ से कई उत्पादों का बांग्लादेश निर्यात होता है. हर दिन करीब 5 से 7 ट्रक मेरठ के सामान लेकर दिल्ली से वाया कोलकाता होते हुए ढाका रवाना होते हैं. यही ट्रक लौटते समय वहां से पुराने कपड़े लाते जिससे मेरठ में धागा तैयार होता है. ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि बार्डर बंद होने के कारण कुछ ट्रक बांग्लादेश में फंस गए हैं जो ना तो भारत लौट पा रहे हैं और ना ही वहां से सामान आ पा रहा है. मेरठ से स्पोर्ट्स का भी काफी सामान बांग्लादेश में निर्यात होता है और वहां से मेरठ के कई व्यापारी रेडीमेड कपड़े, सूती धागा, सूती कपड़े, रेडीमेड कपड़ा, मसाला, फुटवेयर, आटोमोबाइल पार्ट्स और फैंसी टोपी जैसी चीजों का आयात करते हैं. मेरठ से प्रतिदिन 30 लाख रुपए की चादरें सप्लाई होती है. मेरठ में बने माल की पड़ोसी देश में अच्छी मांग है और लगातार निर्यात भी बढ़ रहा है लेकिन वहां बढ़ती अस्थिरता इसे बुरी तरह से प्रभावित कर रही है. सीमा सील होने से दोनों देशों के बीच होने वाले कॉस्मेटिक उत्पाद, ज्वेलरी, टेलरिंग मैटेरियल और होजरी का आयात-निर्यात भी पूरी तरह से ठप पड़ गया है.

बांग्लादेश के हर घटनाक्रम का भारत पूरी तरह से आंकलन कर रहा है जिसकी तस्दीक खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की, उन्होंने संसद में कहा ‘बांग्लादेश में तेजी से हालात बदल रहे हैं. सरकार इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रही है’. इसका मतलब साफ है कि बांग्लादेश की स्थिति अभी बिलकुल ठीक नहीं है. हालात अनुकूल नहीं होने पर इसका असर भारत पर और बढ़ेगा. खासकर दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पर और व्यापारियों की जेब पर, जो किसी भी हाल में ठीक नहीं होगा.

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