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आसानी से लोन पाने के लिए भरें ITR और पाइए TDS की रकम वापस

अगर आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है फिर भी आपको ITR फाइल करना चाहिए इससे ना सिर्फ आप सरकारी डेटा का हिस्सा बन पाएंगे बल्कि आपको लोन मिलने में भी आसानी होगी। इसके अलावा अगर आपका कहीं भी TDS कटता हो तो ITR फाइल करने से वो रकम भी आप वापस पा सकते हैं।

नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होने के साथ ITR फाइल करने और टैक्स कैल्कुलेट करने की चर्चा तेज़ हो जाती है। ऐसे में लोग ये समझते हैं कि जिनकी इनकम टैक्स के दायरे में आती है सिर्फ उन्हीं को ITR फाइल करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है फिर भी आपको ITR फाइल करना चाहिए इससे ना सिर्फ आप सरकारी डेटा का हिस्सा बन पाएंगे बल्कि आपको लोन मिलने में भी आसानी होगी। आपकी कमाई टैक्सेबल नहीं है फिर भी आपको ITR फाइल करना चाहिए ताकि आप अपना TDS का रिफंड ले सकें।

भूलकर भी ना करें ये गलती

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन्स के तहत हम जो भी कमाई करते है उसे सरकार को दिखाना जरूरी है…इसलिए आप अपनी इनकम को मिनिमम स्लैब के अंदर दिखाकर ITR फाइल करें…इससे आपको लोन आसानी से मिल जाता है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सैलरीड होने पर FORM 16 से काम चल जाता है लेकिन अगर सैलरीड नहीं हैं और आपने ITR भी फाइल नहीं किया है तो आपको किसी भी हाल में लोन नहीं मिलेगा…इतना ही नहीं अगर आपने 3 साल तक लगातार ITR फाइल नहीं किया है तो भी आपको लोन नहीं मिलेगा…इसलिए जब आप टैक्स के दायरे में ना भी हों तब भी ITR ज़रूर फाइल करें और लोन की सुविधा का लाभ उठाएं
 
TDS का पूरा रिफंड पाएं

अगर आप कमाते हैं और आपकी आय सरकार की ओर से निर्धारित की गई टैक्स छूट की सीमा में आती है और उस पर TDS कटता है तो आपको काटे गए TDS का रिफंड लेने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए।

अगर किसी व्यक्ति द्वारा वेतन से अर्जित की जाने वाली आय इनकम टैक्स द्वारा निर्धारित की गई सीमा के अंदर है, लेकिन वह म्यूचुअल फंड, इक्विटी, फिक्स्ड डिपॉजिट और दूसरी स्कीम्स में इनवेसंटमेंट करता है और उससे होने वाली आय इनकम टैक्स की छूट की सीमा से अधिक है तो फिर आपको इनकम टैक्स फाइल करना जरूरी है।

पुरानी टैक्स रिजीम में टैक्स छूट

पुरानी टैक्स रिजीम में सरकार की ओर से निर्धारित की गई टैक्स छूट के अलावा सेक्शन 80C, 80 CCD, 80D, 80 G, 80TTA और 80 TTB के तहत EPF,PPF NPS, होम लोन पर ब्याज और बैंक से मिलने वाली ब्याज पर छूट मिलती है।

नई टैक्स रिजीम में टैक्स छूट

नई टैक्स रिजीम में कुल 7.5 लाख रुपये की आय टैक्स छूट के दायरे में आती है। इसमें 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन और NPS में निवेश पर छूट शामिल है। इसके अलावा पुरानी टैक्स रिजीम की तरह इसमें 80C का लाभ नहीं मिलता है।

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