भले ही AI दुनिया में अपनी धमक दिखा रहा हो, पल भर में मुश्किल से मुश्किल सवालों को हल कर रहा हो लेकिन इंसानों की जगह लेने और उनके दिमाग को मात देने के लिए सबसे करीब कोई मशीन है तो वो है रोबोट। इसको लेकर हर दिन नए प्रयोग सामने आ रहे हैं। किस तरह रोबोट को और बेहतर बनाया जा सके इसके लिए वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर रहे हैं। इसी कड़ी में इजराइल के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा हाइब्रिड रोबोट बनाया है जो सूंघ कर बीमारियों का पता लगा सकता है जो मेडिकल के क्षेत्र में वरदान साबित हो रहा है।
ये नया इजरायली रोबोट बीमारियों का पता लगाने, सूंघकर विस्फोटकों और ड्रग्स जैसी चीजों का पता लगाने के लिए टिड्डे के एंटीना का सहारा लेता है जिसे वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च के बाद इस खास रोबोट में लगाया है। इजराइल के वैज्ञानिकों की मानें तो टिड्डियों में सूंघने की गजब की क्षमता होती है और इसी का फायदा उठाते हुए इजरायल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी के साइंटिफिक रिसर्चर यानि शोधकर्ताओं ने इसे रोबोट में अटैच किया है जिससे वो पूरी तरह से चीजों को सूंघ कर उनका पता लगा सकता है।
इंसानों से बेहतर सूंघने वाला रोबोट
पूरी दुनिया जानती है और मानती भी है कि टिड्डियों के सूंघने की शक्ति इंसानों से कई गुना ज्यादा होती है और वैज्ञानिकों ने इसका भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपने इस नए रोबोट (Robot) को बनाया है। वैज्ञानिकों ने पहली बार एक रोबोट को सूंघने की क्षमता से लैस कर दिया है जिसका इस्तेमाल बीमारियों, दवाओं, विस्फोटकों और दूसरी वस्तुओं को सूंघने के लिए आसानी से किया जा सकता है। जैविक सेंसर से लैस ये रोबोट गंध को पहचानने में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की तुलना में 10 हज़ार गुना ज्यादा संवेदनशील है।
खास तरह से काम करते है ये एंटीना
ये खास रोबोट अपने एंटीना के सहारे सूंघता है। शोधकर्ताओं ने टिड्डियों के एंटीना को दो इलेक्ट्रोड के बीच रखा, जो रोबोट पर गंध की पहचान करने के लिए संकेत भेज सकता है। मशीन लर्निंग से रोबोट अलग-अलग तरह की गंधों की पहचान कर सकता है। वैज्ञानिकों ने टिड्डियों की इसी खासियत का इस्तेमाल बायो-हाइब्रिड रोबोट बनाने में किया। उनका कहना है कि टिड्डी के एंटीना की मदद से ये रोबोट इलेक्ट्रॉनिक स्निफर्स के मुकाबले कहीं ज्यादा कारगर होते हैं।
दुनियाभर में सबसे तेज़ सूंघने की क्षमता कीड़े-मकोड़ों की होती है। उदाहरण के तौर पर एक मच्छर हवा में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में 0.01 प्रतिशत अंतर का पता लगा सकता है। वैज्ञानिकों की मानें तो आज हम ऐसे सेंसर बनाने से बहुत दूर हैं जिनकी क्षमता कीड़े-मकोड़ों के करीब आती है। इसलिए वैज्ञानिकों ने रोबोट में टिड्डे का एंटीना लगाने का फैसला किया। इस खास रोबोट के प्रयोग से ना सिर्फ बीमारियों का पता लगा सकते हैं बल्कि एयरपोर्ट पर सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है। इसके सेंसर से ड्रग्स जैसी तस्करी को भी रोकने में आसानी होगी क्योंकि ये रोबोट ड्रग्स को भी सूंघकर पता लगाने में सक्षम है।
काफी दिनों से दुनिया भर के वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि जानवर गंध से बीमारी का कैसे पता लगाते हैं। जिसका नतीजा है कि वैज्ञानिकों के दिमाग में ये खयाल आया कि रोबोट में टिड्डियों के एंटीना का इस्तेमाल कर काफी हद तक इसमें सफलता पाई जा सकती है और हुआ भी यही। इजरायली वैज्ञानिकों का ये नया रोबोट सूंघकर ही बीमारियों का पता लगा सकता है।